माँ तु ऐसी क्यों हैं।

माँ तु ऐसी क्यों हैं।

मन जब भारी हो जाता है।

तेरा सर पर हाथ रखना सब ठीक कर देता है माँ।

भूख जब मुझे लगती हैं।

तेरे हाथ की ठंडी रोटी भी अमृत लगती है माँ।

होती हूं मैं जब भी परेशान तेरा कहना सब ठीक हो जएगा

सुकून देता है माँ।

पापा से जब भी डर लगता है

तेरा मेरे साथ खड़ा रहना 

हिम्मत देता है माँ।

खुद अपने गम छीपाकर सब का ख्याल रखना 

ऐसी क्यों है तू माँ।

शायद मैं कहती नहीं पर प्यार तुझसे बहुत करती हूं माँ।

तुझसे ही मेरी ज़िंदगी है।

तू ही मेरी सब कुछ है माँ।

तेरे बिना कभी ना रह पाऊँगी माँ।

तुझे छोड़ कर कैसे जाऊँगी मैं माँ।

माँ तू ऐसी क्यों है।


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